अर्जुन व अर्जुन की छाल के फायदे व उपयोग- Arjun Ki Chhal Benefits

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अर्जुन का परिचय (Introduction of Arjun)

Arjun Ki Chhal Benefits

सदियों से आयुर्वेद में सदाबहार वृक्ष अर्जुन को औषधि के रुप में ही इस्तेमाल किया गया है। आम तौर पर अर्जून की छाल और रस का औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। अर्जून नामक बहुगुणी सदाहरित पेड़ की छाल यानि अर्जुन की छाल के फायदे का प्रयोग हृदय संबंधी बीमारियों , क्षय रोग यानि टीबी जैसे बीमारी के अलावा सामान्य कान दर्द, सूजन, बुखार के उपचार के लिए किया जाता है।

अर्जुन कितना गुणकारी जड़ी बूटी ये बात तो समझ में आ ही गया है लेकिन आगे ये किन-किन बीमारियों के लिए फायदेमंद है और अर्जुन छाल का क्षीरपाक कैसे बनाया जाता है इसके बारे में  विस्तार से जानते हैं

अर्जुन के फायदे  (Arjuna Uses and Benefits in Hindi)

आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ का प्रयोग औषध के रूप में फल और छाल के रूप में होता है। अर्जुन की छाल के फायदे में सबसे ज्यादा उपकारी टैनिन होता है, इसके साथ पोटाशियम, मैग्निशियम और कैल्शियम भी होता है।

कान के दर्द में अर्जुन के फायदे (Arjun Tree Benefits in Ear Pain in Hindi)

3-4 बूँद अर्जुन के पत्ते का रस कान में डालने से कान का दर्द कम होता है।

मुखपाक से दिलाये राहत अर्जुन (Benefits of Arjuna helps for Stomatitis in Hindi)

अर्जुन मूल चूर्ण में मीठा तैल (तिल तैल) मिलाकर मुँह के अंदर लेप कर लें। इसके पश्चात् गुनगुने पानी का कुल्ला करने से मुखपाक में लाभ होता है।

हृदय को स्वस्थ रखे अर्जुन की छाल (Arjun ki Chaal Benefits for Healthy Heart in Hindi)

 अर्जुन की छाल के फायदे हृदय रोग में सबसे ज्यादा होते हैं, लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें इसके बारे में सही जानकारी होनी चाहिए-

  • हृदय की सामान्य धड़कन जब 72 से बढ़कर 150 से ऊपर रहने लगे तो एक गिलास टमाटर के रस में 1 चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से शीघ्र ही लाभ होता है।
  • अर्जुन छाल के 1 चम्मच महीन चूर्ण को मलाई रहित 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय को बल मिलता है और कमजोरी दूर होती है। इससे हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।
  • 50 ग्राम गेहूँ के आटे को 20 ग्राम गाय के घी में भून लें, गुलाबी हो जाने पर 3 ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण और 40 ग्राम मिश्री तथा 100 मिली खौलता हुआ जल डालकर पकाएं, जब हलुवा तैयार हो जाए तब प्रात सेवन करें। इसका नित्य सेवन करने से हृदय की पीड़ा, घबराहट, धड़कन बढ़ जाना आदि विकारों में लाभ होता है।
  • 6-10 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण में स्वादानुसार गुड़ मिलाकर 200 मिली दूध के साथ पकाकर छानकर पिलाने से हृद्शोथ का शमन होता है। ki
  • 50 मिली अर्जुन छाल रस, (यदि गीली छाल न मिले तो 50 ग्राम सूखी छाल लेकर, 4 ली जल में पकाएं। जब चौथाई शेष रह जाए तो क्वाथ को छान लें), 50 ग्राम गोघृत तथा 50 ग्राम अर्जुन छाल कल्क में दुग्धादि द्रव पदार्थ को मिलाकर मन्द अग्नि पर पका लें। घृत मात्र शेष रह जाने पर ठंडा कर छान लें। अब इसमें 50 ग्राम शहद और 75 ग्राम मिश्री मिलाकर कांच या चीनी मिट्टी के पात्र में रखें। इस घी को 5 ग्राम  प्रात सायं गोदुग्ध के साथ सेवन करें। इसके सेवन से हृद्विकारों का शमन होता है तथा हृदय को बल मिलता है।
  • हृदय रोगों में अर्जुन की छाल के कपड़छन चूर्ण का प्रभाव इन्जेक्शन से भी अधिक होता है। जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। इसे सारबिट्रेट गोली के स्थान पर प्रयोग करने पर उतना ही लाभकारी पाया गया। हृदय की धड़कन बढ़ जाने पर, नाड़ी की गति बहुत कमजोर हो जाने पर इसको रोगी की जीभ पर रखने मात्र से नाड़ी में तुंत शक्ति प्रतीत होने लगती है। इस दवा का लाभ स्थायी होता है और यह दवा किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाती तथा एलोपैथिक की प्रसिद्ध दवा डिजीटेलिस से भी अधिक लाभप्रद है। यह उच्च रक्तचाप में भी लाभप्रद है। उच्च रक्तचाप के कारण यदि हृदय में शोथ (सूजन) उत्पन्न हो गयी हो तो उसको भी दूर करता है।

पेट की गैस ऊपर आने में करे मदद अर्जुन (Arjuna for Burping in Hindi)

अर्जुन की छाल के फायदे एसिडिटी से राहत दिलाने में भी बहुत मददगार होते हैं। अर्जुन की छाल के फायदे का पूरा लाभ उठाने के लिए अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें, ये जानना बहुत ज़रूरी है।

10-20 मिली अर्जुन छाल  के काढ़े का नियमित सेवन करने से उदावर्त्त या पेट की गैस ऊपर आती है और एसिडिटी से राहत मिलती है।

डायबिटीज को करे कंट्रोल अर्जुन (Benefits of Arjun Chaal to Control Diabetes in Hindi)

अर्जुन की छाल, नीम की छाल, आमलकी छाल, हल्दी तथा नीलकमल के समभाग चूर्ण को पानी में पकाकर शेष काढ़ा बनायें। बचाकर, 10-20 मिली काढ़े में मधु मिलाकर रोज सुबह सेवन करने से पित्तज-प्रमेह में लाभ होता है।

शुक्रमेह में लाभकारी अर्जुन की छाल (Arjun chal benefits in Spermatorrhoea in Hindi)

शुक्रमेह बीमारी पुरूषों को होता है। इस रोग में अत्यधिक मात्रा में  सिमेन निकल जाता है। अर्जुन की छाल के फायदे का पूरा लाभ पाने के लिए इस तरह से सेवन करने पर शुक्रमेह से निजात पाया जा सकता है।  अर्जुन की छाल या सफेद चंदन से बने 10-20 मिली काढ़े को नियमित सुबह शाम पिलाने से शुक्रमेह में लाभ होता है।

मूत्राघात में फायदेमंद अर्जुन (Arjuna Chal Beneficial in Anuria in Hindi)

मूत्र करते समय दर्द या जलन होना मूत्राघात के मूल लक्षण होते हैं। अर्जुन छाल के फायदे का पूरा लाभ पाने के लिए  अर्जुन छाल का काढ़ा बनाकर 20 मिली मात्रा में पिलाने से मूत्राघात में लाभ होता है।

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रक्तप्रदर (अत्यधिक रक्तस्राव) में फायदेमंद अर्जुन (Arjuna to Get Relief in Metrorrhagia in Hindi)

महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान जब औसतन दिन से ज्यादा और मात्रा में ज्यादा रक्त का स्राव होता है उसको रक्तप्रद कहते हैं। अर्जुन छाल के फायदे अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने में  बहुत मदद करते हैं बशर्ते कि प्रयोग का तरीका सही हो। इसके लिए 1 चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को 1 कप दूध में उबालकर पकाएं, आधा शेष रहने पर थोड़ी मात्रा में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करें। इसके सेवन से रक्तप्रदर में लाभ होता है।

हड्डी जोड़ने में करे मदद अर्जुन (Arjuna Chal Beneficial in Bone Fracture in Hindi)

अगर किसी कारण हड्डी टूट गई है या हड्डियां कमजोर हो गई हैं तो अर्जुन छाल के फायदे बहुत लाभकारी सिद्ध होते हैं। अर्जुन छाल का प्रयोग करने से हड्डी के दर्द से न सिर्फ आराम मिलता है बल्कि हड्डी जुड़ने में भी सहायता मिलती है।

  • एक चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्ते तक सेवन करने से हड्डी मजबूत होती जाती है। भग्न अस्थि या टूटी हुई हड्डी के स्थान पर इसकी छाल को घी में पीसकर लेप करें और पट्टी बाँधकर रखें, इससे भी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।
  • अर्जुन की छाल से बने 20-40 मिली क्षीरपाक में 5 ग्राम घी एवं मिश्री मिलाकर पीने से अस्थि भंग (टूटी हड्डी) में लाभ होता है।
  • अर्जुन की त्वचा तथा लाक्षा को समान मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। 2-4 ग्राम में गुग्गुलु तथा घी मिलाकर सेवन करने से तथा भोजन में घी व दूध का प्रयोग करने से शीघ्र भग्न संधान होता है।
  • समान मात्रा में हड़जोड़, लाक्षा, गेहूँ तथा अर्जुन का पेस्ट (1-2 ग्राम) अथवा चूर्ण (2-4 ग्राम) में घी मिलाकर दूध के साथ पीने से अस्थिभग्न एवं जोड़ो से हड्डियों के छुट जाने में लाभ होता है।

This Post Has 2 Comments

  1. harga limestone

    Reading your article helped me a lot and I agree with you. But I still have some doubts, can you clarify for me? I’ll keep an eye out for your answers.

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